शनिवार, 21 जनवरी 2012

अब यूजीसी नेट की परीक्षा के तीनों पेपर होंगे ऑब्जेक्टिव


विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा आयोजित किया जाने वाली परीक्षा नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट (नेट) के तीनों पेपर अब पूरी तरह ऑब्जेक्टिव होंगे। जून 2012 में होने वाली परीक्षा से इसे लागू कर दिया जाएगा। हम आपको बता दें कि पहले नेट के दो पेपर ऑब्जेक्टिव होते थे, जबकि तिसरा पेपर ऑब्जेक्टिव नहीं होता था।

गौरतलब है कि अभी तक नेट का तिसरा पेपर 200 अंकों का होता था जिसमें विस्तृत उत्तरीय प्रश्न होते थे, लेकिन अब इसके लिए भी पहले दो पहले दो पेपर की तरह ही बहुविकल्पीय प्रश्नों की मदद ली जाएगी। हालांकि इस निर्णय के बाद परीक्षार्थियों को परीक्षा में सफल होने के लिए 5 प्रतिशत अधिक अंक चाहिए। इस निर्णय की वजह उत्तर पुस्तिकाओं को चेक करने में लगने वाले अधिक समय बताया गया है।

अब इस परीक्षा में सामान्य श्रेणी छात्रों को अभी तक थर्ड पेपर में सफल होने के लिए सिर्फ 45 फीसदी अंकों की ज़रूरत होती थी, जबकी अब 50 फीसदी अंक लाने होगे। इसी तरह ओबीसी श्रेणी के तहत अब 40 फीसदी के बजाय 45 फीसदी और अनुसूचित जाति, जनजाति और शारीरिक रूप से विकलांग श्रेणी के छात्रों को अब 35 फीसदी की बजाय 40 फीसदी अंक लाने होंगे।

कमीशन की बैठक में यब भी निर्णय लिया गया कि परीक्षा के प्रारूप में हो रहे इस बदलाव के तहत परीक्षार्थियों के लिए एक क्वेशचन बैंक भी तैयार किया जाएगा।


बुधवार, 30 नवंबर 2011

दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा रिफ्रेशर पाठ्यक्रम का आयोजन

दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा ग्रंथालय एवं सुचना विज्ञानं पर रिफ्रेशर पाठ्यक्रम का आयोजन १९ दिसंबर २०११ से ७ जनवरी २०१२ तक किया जायेगा|

अधिक जानकारी व पाठ्यक्रम में भाग लेने हेतु फॉर्म डाउनलोड करने हेतु निम्न लिंक पर क्लिक करे|

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संसाधन सहभागिता


प्रायः देखा गया है की ग्रंथालयो में विभिन्न प्रकार की समस्याओ की करण पाठकों को अनेक प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है| अतः संसाधन सहभागिता (Resource sharing) द्वारा ग्रंथालय अधिक गतिशील तथा सेवा प्रदत्त हो सकते है| संसाधन सहभागिता का प्रारंभ २०० ई. पू. में एलेक्जेंडरिया (Alexandria Library) तथा पर्गमन ग्रंथालय(Pergamum Library) के बिच सहयोग से हुआ| १९७० में कुछ विश्वविद्यालयो के बीच सहभागिता के माध्यम से सेवा देना आवश्यक समझा गया| यही करण था की ‘वीमर एवं जीन’ ग्रंथालयो ने संयुक्त रूप से एक संघीय सूची(Union Catalogue) एच. सी. बैटन (H. C. Batton) के द्वारा तैयार की गयी| इस प्रकार ग्रंथालयो के बिच संसाधन सहभागिता का विकास हुआ| उदाहरण के लिया प्रसारण प्रबंध (Circulation management), डाटा संग्रहण (Data storage) इत्यादि| १९७१ में UNISIST के एक प्रयोग के अंतर्गत ग्रंथालयो के बीच सहयोग स्थापित करने के लिए सहायता प्रदान की गयी| १९२७ में अमेरिका व कनाडा के ग्रंथालयो की पत्रिकाओ की संघीय सूची (Union list) तैयार की गयी| इसके अतिरिक्त अन्य प्रयास भी हुए जिनसे संसाधन सहभागिता (Resource sharing) अधिक गतिशील बन सके|

संसाधन सहभागिता के द्वारा निम्न सेवाए प्रदान की जाती है:-
  1. अंतर-ग्रंथालय ऋण सेवा(Inter-library loan service)
  2. उपभोक्ता इ-मेल(User E-mail )
  3. अधिग्रहण एवं सूचीकरण (Acquisition and Cataloguing)
  4. कर्मचारी प्रबंध(Personnel Management-training)
  5. सुचना सेवा (Information service)
  6. अनुवाद सेवा (Translation Services)
  7.  विशिष्ट संग्रह का विकास (Development of Special collection)
  8. सहकारी संग्रहण(Co-operative Storage)

   Ref: Suchna Praudyogiki by Dr. C.K. Sharma

गुरुवार, 24 नवंबर 2011

अनुक्रमणिकरण (Indexing)


अनुक्रमणिकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा ज्ञान को व्यवस्थित करने हेतु अनुक्रमणिका (Index) एवं सम्बंधित उपकरणों को तैयार किया जाता है| अनुक्रमणिकरण का कार्य मानव तथा कंप्यूटर दोनों की सहायता से किया जा सकता है विषय अनुक्रमणिकरण में विषय के साथ परिचित होना, विश्लेषण और अनुक्रमणिकरण भाषा के उपयोग से अवधारणाओ को प्रस्तुत करने के लिए पदों को प्रदान करने की तीनों अवस्थाएं सम्मिलित है| अनुक्रमणिकरण दो प्रकार से किया जा सकता है|

  1. पूर्व-समन्वित अनुक्रमणिकरण (Pre-coordinated indexing): जव अनुक्रमणिका तैयार करते समय ही अनुक्रमणिकार को पदों में समन्वय स्थापित करना पड़ता है तो यह पद्यति पूर्व-समन्वित अनुक्रमणिकरण कहा जाता है| उदाहरण के लिए: चेन इंडेक्सिंग (Chain Indexing), पोपसी (POPSI), प्रेसिस (PRECIS), क्लासिफाईड इंडेक्सिंग(Classified Indexing) आदि|
  2. पश्च समन्वित अनुक्रमानिकरण (Post-coordinated indexing): इस पद्यति में विषय शीर्षकों के पदों का क्रम पूर्व निर्धारित नहीं होता है, बल्कि प्रत्येक पद के लिए पृथक प्रविष्टि तैयार की जाती है| इससे उपयोक्ता को उनका क्रम यद् रखने की आवयश्कता नहीं रहती है| उदाहरण के लिए- क्विक (KWIC), क्वोक(KWOC) आदि|


दोनों प्रणालियों में मुख्य अंतर

  1. पूर्व समन्वित प्रणाली में अनुक्रमणिका तैयार करते समय ही पदों में समन्वय स्थापित किया जाता है जबकि पश्च-समन्वित प्रणाली में पदों का क्रम पूर्व-निर्धारित नहीं होता, बल्कि खोज के समय निर्धारित किया जाता है|
  2. पूर्व समन्वित प्रणाली में प्रलेखो को खोजने हेतु अभिगम पद अनुक्रमणिकार द्वारा तैयार किया जाता है, जबकि पश्च-समन्वित प्रणाली में अभिगम पद उपयोक्ता स्वयं निर्धारित कर्ता है|
  3. पूर्व समन्वित प्रणाली में लचीलापन बहुत कम होता है, जबकि पश्च-समन्वित प्रणाली में लचीलापन बहुत अधिक होता है|
  4. पूर्व समन्वित प्रणाली में क्रमचय (Permutation) एवं संयोजन(Combination) वर्जित होता है, जबकि पश्च-समन्वित प्रणाली में यह वर्जित नहीं है|

मंगलवार, 22 नवंबर 2011

सुचना एवं पुस्तकालय नेटवर्क केंद्र, अहमदाबाद (INFLIBNET)


सूचना और पुस्तकालय नेटवर्क ( इनफ्लिबनेट ) केन्द्र विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ( यूजीसी ) का एक स्वायत्त अंतर विश्वविद्यालय केन्द्र ( IUC ) है । 1991 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा शुरू किया गया यह एक प्रमुख राष्ट्रीय कार्यक्रम है जिसका प्रधान कार्यालय गुजरात विश्वविद्यालय, अहमदाबाद के परिसर में है । IUCAA के तहत इसकी शुरूआत एक परियोजना के रूप में हुई, और 1996 में यह एक स्वतंत्र अंतर विश्वविद्यालय केन्द्र बना ।

इनफ्लिबनेट भारत में विश्वविद्यालय के पुस्तकालयों के आधुनिकीकरण और सूचना के इष्टतम उपयोग के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए देशव्यापी उच्च गति डेटा नेटवर्क के द्वारा देश में सूचना केंद्रों को जोड़ने में शामिल है । इनफ्लिबनेट भारत में शोधकर्ताओं और शिक्षाविदों के बीच विद्वानों के संचार को बढ़ावा देने की एक प्रमुख कड़ी है 

उद्देश्य
इनफ्लिबनेट के समझौता ज्ञापन में इसके प्राथमिक उद्देश्य इस प्रकार परिकल्पित हैं :
  • सूचना के हस्तांतरण और प्राप्ति के लिए बेहतर क्षमता बनाने के लिए संचार सुविधाओं को स्थापित करना और बढ़ावा देना ताकि संबंधित एजेंसियों के सहयोग और भागीदारी से छात्रवृत्ति, शिक्षण, अनुसंधान और शिक्षा के लिए सहायता प्रदान की जा सके ।
  • इनफ्लिबनेट : सूचना और पुस्तकालय नेटवर्क, एक कंप्यूटर संचार नेटवर्क स्थापित करना ताकि विश्वविद्यालयों,विश्वविद्यालयवतों, कॉलेजों, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग सूचना केंद्रों, राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों और अनुसंधान एवं विकास संस्थानों और सूचना केंद्रों आदि के पुस्तकालयों को जोड़ा जा सके व दोहराव से बचा जा सके ।
i. देश के पुस्तकालयों और सूचना केंद्रों में समान मानक के अनुसार कम्प्यूटरीकरण ऑपरेशन और सेवाओं को बढ़ावा देना ;

ii. संसाधनों और सुविधाओं के इष्टतम उपयोग के लिए सूचना के आदान, विनिमय और साझेदारी की दिशा में सभी पुस्तकालयों में तकनीक, विधि, प्रक्रिया, कंप्यूटर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर, सेवाओं में एक समान मानक और दिशा निर्देश तैयार करने के लिए और उन्हें वास्तविक रूप में बढ़ावा देना :

iii. सूचना और सेवा प्रबंध में क्षमता में सुधार करने के लिए देश में विभिन्न पुस्तकालयों और सूचना केन्द्रों को परस्पर जोड़ने के लिए राष्ट्रीय नेटवर्क विकसित करना ;

iv. भारत के विभिन्न पुस्तकालयों में धारावाहिकों, शोध निबंध / शोध प्रबंध, किताबें, मोनोग्राफों और गैर पुस्तक सामग्री ( पांडुलिपियों, श्रृव्य-दृश्य, कंप्यूटर डेटा, मल्टीमीडिया, आदि ) ऑन लाइन संघ सूची बनाने के लिए पुस्तकालयों के दस्तावेज़ संग्रह तक विश्वसनीय पहुँच प्रदान करना :

v. विश्वसनीय पहुँच के लिए प्रशंसा पत्र के साथ NISSAT के क्षेत्रीय सूचना केन्द्रों, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग सूचना केन्द्रों, सिटी नेटवर्क और ऐसे अन्य लोगों के द्वारा देश में निर्मित डेटाबेस के माध्यम से स्थापित स्रोत, सार, आदि के साथ ग्रंथ सूची जानकारी प्रदान करवाना और क्रमश: राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क और सूचना केंद्रों में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय डेटाबेस ऑन लाइन पहुँचने के लिए द्वार स्थापित करना;

vi. उच्च घनत्व भंडारण मीडिया का उपयोग करते हुए डिजिटल छवियों के रूप में विभिन्न भारतीय भाषाओं में पांडुलिपियों और सूचना दस्तावेज़ों के रूप में उपलब्ध बहुमूल्य जानकारी के अभिलेखन के लिए नए तरीकों और तकनीकों को विकसित करना;

vii. साझा सूचीपत्रक, अन्तर पुस्तकालय उधार सेवा, सूचीपत्र उत्पादन, और संग्रह विकास के माध्यम से सूचना संसाधनों के उपयोग को इष्टतम करना जिससे यथा संभव अर्जन के दोहराव से बच सकें ;

viii. पूरे देश में कहीं भी कितनी भी दूरी पर मौजूद उपयोगकर्ताओं को सक्षम करने के लिए धारावाहिकों, शोध निबंध / शोध प्रबंध, किताबें, प्रबंधकीय और गैर-पुस्तक सामग्री के बारे में जानकारी प्रदान करके उपलब्ध स्रोतों के माध्यम से और इसे इनफ्लिबनेट और दस्तावेजों की संघ सूची की सुविधा प्राप्त करके;

ix. ऑन लाइन सूचना सेवा उपलब्ध कराने के लिए परियोजनाओं, संस्थानों, विशेषज्ञों, आदि के लिए डेटाबेस बनाना;

x. देश में पुस्तकालयों, प्रलेखन और सूचना केंद्रों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना ताकि मजबूत संसाधन केन्द्रों द्वारा कमजोर संसाधन केन्द्रों की मदद करने के लिए संसाधनों का उपयोग किया जा सके, और

xi. इनफ्लिबनेट को स्थापित करने के लिए, प्रबंधन और उसे जारी रखने के लिए कम्प्यूटरीकृत पुस्तकालय संचालन और नेटवर्क के क्षेत्र में मानव संसाधन का प्रशिक्षण और विकास ।
  • इलेक्ट्रॉनिक मेल, संचिका अंतरण, कम्प्यूटर / ऑडियो / वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, आदि के माध्यम से वैज्ञानिक, इंजीनियर, सामाजिक वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों, संकायों, शोधकर्ताओं और छात्रों के बीच अकादमिक संचार की सुविधा
  • संचार, कंप्यूटर नेटवर्किंग, सूचना प्रबंध और आँकड़ा प्रबंधन के क्षेत्र में प्रणाली के डिजाइन और अध्ययन करना ;
  • संचार नेटवर्क और व्यवस्थित रखरखाव के लिए उपयुक्त नियंत्रण और निगरानी प्रणाली स्थापित करना;
  • इस केंद्र के उद्देश्यों से प्रासंगिक क्षेत्र में भारत और विदेशों में संस्थानों, पुस्तकालयों, सूचना केंद्रों और अन्य संगठनों के साथ सहयोग करना;
  • इस केंद्र के लक्ष्यों को साकार बनाने अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देना और आवश्यक सुविधाओं को विकसित और तकनीकी पदों सृजन करना ;
  • सूचना और परामर्शी सेवाएं प्रदान करके आय अर्जित करना, और
  • उपरोक्त सभी या किसी उद्देश्य की प्राप्ति के लिए वह सब करना जो आवश्यक हो, प्रासंगिक या अनुकूल हो ।
सुचना स्त्रोत: http://www.inflibnet.ac.in/hindi/about/